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बुधवार, 21 जुलाई 2010

मेरा चेहरा...........

मेरा चेहरा--
मेरा चेहरा विगड़ गया है
कुछ इस तरहा......
जैसे कोई घायल सड़क पर नीचे पड़ा है,
और उसे चारों ओर से लोगों ने घेर रखा है,
क्योंकि वह कोई चोर या मक्कार होगा,
जिसे झूठ बोलते या चोरी करते हुए रंगे हाखों पकड़ा हो।
उसके चेहरे पर से खून बह रहा है,
और हिसाब ले रहा है एक-एक कतरा झूठ बोलने की-चोरी करने की।
उसकी आँखें दहशत से चारों और देख रही है।
बार-बार माफी भी मांग रही है।
बहते आँसू बयान कर रहे,
"मुझसे गलती हो गई है, सच ये मैं मानता हुँ।"
"पर मजबूर था मैं।"
"मुझे माफ कर दो।"
उसका सर शर्म से झुका है।
वह अपना चेहरा छुपा रहा है।
पर दुनिया को होड़ लगी है उसके चेहरे को
देखने के लिए।
ताकि सबको पता चले वह कौन है।
मेरा चेहरा कुछ इस तरहा बिगड़ा है।

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