tag:blogger.com,1999:blog-4068189572361244836.post3817369572038130193..comments2023-10-27T15:03:35.268+05:30Comments on नए विचार- मधुछन्दा: मेरे बाग के फूल..................मधुछन्दा चक्रवर्ती (पुरकायस्थ)http://www.blogger.com/profile/11064832308373843049noreply@blogger.comBlogger1125tag:blogger.com,1999:blog-4068189572361244836.post-32291885798601495942010-12-17T12:59:19.241+05:302010-12-17T12:59:19.241+05:30मेरे बाग के फूल अर्थात् मन में छिपी इच्छाएं, आकंक्...मेरे बाग के फूल अर्थात् मन में छिपी इच्छाएं, आकंक्षाएं, सपने, विश्वास, प्रेम, ताकत आदि फूल है जो मन की डाली से जुड़े है। यदि ये टूट कर गिर जाए तो अपने ही भीतर की जमीं पर गिरते है और अलग-अलग होने पर भी अपनी ही जमीं को सख्त करते है जिसपर मजबूत विश्वास और आशाओं से भरा किला तैयार करके इन्सान ताकतवर ही बनता है। ये मैंने अंदर से टूटे इन्सानों के लिए लिखा है। आशा है पढ़कर कुछ हिम्मत मिले।मधुछन्दा चक्रवर्ती (पुरकायस्थ)https://www.blogger.com/profile/11064832308373843049noreply@blogger.com