समर शेष है, अभी मनुज-भक्षी हुंकार रहे हैं।
गाँधी का पी लहू जवाहर पर फुंकार रहे हैं।
समर शेष है अहंकार इनका हरना बाकी है।
वृक को दन्तहीन, अहि को निर्विष करना बाकी है।
समर शेष है, शपथ धर्म की, लाना है वह काल,
विचरें अभय देश में गाँधी और जवाहरलाल।
प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियों
में कवि दिनकर गाँधी और जवाहर के विरोधियों के बारे में बात कह रहे हैं। वे अंग्रेजों
के चले जाने के बावजूद भी देश में जो देश विरोधी ताकते हैं उनसे सावधान तथा उनसे
लड़ने की बात कह रहे हैं।
सावधान हो खड़ी देश भर में गाँधी की सेना।
बलि देकर भी बली! स्नेह का यह मृदु व्रत साधो रे।
मन्दिर और मस्जिद, दोनों पर एक तार बाँधों रे!
समर शेष है, नहीं पाप का भागी गेवल व्याध।
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनका भी अपराध।
प्रसंग :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि देश के लोगों के सावधान तथा एक
होने के लिए कह रहे हैं। वे कह रहे हैं कि जो अब इस समय देश की उन्नति के लिए साथ
नहीं दे रहा है और युद्ध के समय भी चुपचाप सबकुछ देखे जा रहा है वे भी अपराधी है
और उनसे भी सावधान होकर रहना है।
व्याख्या :- कवि कहते हैं ये
अंधकार के पुत्र के समान है, डाकु है देखो कोई किसी प्रकार का षड्यंत्र न रच डाले
देश को बर्बाद करने की। गाँधी के मार्ग पर चलने वाले सभी देश वासियों को कवि सावधान
होने की बात कह रहे हैं। वह कह रहे हैं कि भले ही तुम्हें खुद की बलि ही क्यों न
देनी पड़े फिर भी तुम उनसे बलवान हो ये दिखा दो। चारों तरफ स्नेह का वातावरण लाने
के लिए एक व्रत धारण कर लो ताकि वह सफल हो सके। (लोग जब अच्छे कर्म के लिए शुद्ध
मन से व्रत करते हैं तो वह हमेशा सफल होता है।) वह कहते हैं कि लोगों में धार्मिक
एकता होनी चाहिए क्योंकि धर्म के आधार पर देश जब स्वतंत्रता के समय बटा था तो दोनों
की तरफ बहुत हिंसा हुई थी और बहुत सारे लोग मारे गए थे। इसलिए मन्दिर और मस्जिद के
बीच एक तार बांधना होगा और एकता को बढ़ावा देना होगा ताकि देश के दुशमन फिर से देश
का बंटवारा न कर सके। वह कहते हैं कि हमारा युद्ध अभी भी बाकि है। पाप का भागी
केवल व्याध अर्थात् बाघ (कवि यहाँ उन लोगों को बाघ कहकर सम्बोधन कर रहे हैं जो कि
देश की तरक्की में रुकावट डाल रहे हैं) ही नहीं है बल्कि जो इस समय तटस्थ अर्थात्
चुप होकर ये सब देख रहा है और युद्ध में साथ नहीं दे रहा है समय उसका भी अपराध लिखेगा।
कवि उन लोगों को भी अपराधी मानते हैं जो देश की तरक्की के लिए लड़ने वाले लोगों का
भी साथ नहीं देते हैं।
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