माली कभी मजबूर नहीं करता
कली को खिल जाने के लिए
वक्त होता है उसका अपना
वह खिल जाती है।
धरती मजबूर न करती
बादलों को बरसने के लिए
सावन आता है तो
बादल बरस जाते हैं।
धूप-छाव तो होती है राहों में
पर राही मजबूर नहीं किसी के लिए
चलता जाता है वह रुकता न कभी
जब मंजिल आती है
ठहर जाता है वह मंजिल की छाव में।
प्यार में क्या मजबूरी है
प्यार तो होता है अपने ही आप
दिल मजबूर नहीं प्यार के लिए
वह यू ही करता प्यार
प्यार पाए न पाए वह
प्यार होता है करता जाता है प्यार।
Monday, 22 March 2010
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
न मजबूर करो किसी को
ReplyDeleteप्यार करने के लिए
वक्त होगा जब
खुद-ब-खुद हो जाएगा प्यार।