बरखा ना हुई, पिछले बरस बनी सड़क जौन की तौन मौजूद है। ना बही, ना धँसी। मुझे बी लौटा दिया
संदर्भ:- प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य पुस्तक जादू का कालीन नामक नाटक से ली गयी है। इसके नाटकार है मृदुला गर्ग।
प्रसंग:- किसने किससे कहा- रमई ने माई से कहा। रमई माई को मजदूरी का काम न मिलने की वजह बता रहा है।
व्याख्या:- लेखिका मृदुला गर्ग जी ने इस नाटक में ग्रामीण समाज की समस्याओं का चित्रण करते हुए दिखाना चाहा है कि किस प्रकार गाओं के लोग सुखा और अकाल पड़ने से अब शहरों में मजदूरी करने के लिए मजबूर है। और देश में भ्रष्टाचार की जड़े कितनी मजबूत है।
जब माई गाओं के पास सड़क बनने की उम्मीद से अपना नंबर लगा आने की बात कहती है तो रमई उसे बताता है कि इस बार बारिश ना होने की वजह से सड़क अभी भी अच्छी ही है। अब उस सड़क में ना गड्ढ़े है ना ही वो बारिश में बही है। ना ही किसी जगह से धसी है। ऐसे में अच्छी सड़क को दुबारा बनाने का विचार भी नहीं आयेगा। वही गाँव के लोग जो इन कामों से मेहनत मजदूरी करके गुजारा करते है उनके लिए भी और कोई दूसरे काम की भी उम्मीद नहीं है। वही गाँव में जबरदस्त सुखा पड़ने से वे खेती भी नहीं कर सकते है जिससे गरीबी और भुकमरी की समस्या उत्पन्न हो गयी है। इसी कारण रमई और माई जैसे लोग परेशान है।
वही सड़कों की बारिश में धसने और बहने की बात से पता चलता है कि इस प्रकार के कामों में ठेकेदारों और सड़क बनवाने वालों के बीच भ्रष्टाचार की जड़े कितनी ज्यादा गहरी हो चुकी है।
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