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मंगलवार, 9 मार्च 2010

रिश्तें

रिश्तों के कई रंग होते हैं
कुछ नाम के, कुछ बेनाम
पर सबको पड़ता है निभाना
क्योंकि यही दुनिया का दस्तूर है।

और कुछ रिश्ते ऐसे
होते है
जैसे चलती बस की खिड़की
से देखो तो छूटते नज़ारे जैसे।

इन रिश्तों को निभाने में
सबका दिल तो रखना पड़ता है
पर सच है कि
इनको निभाने में दिल कई बार
टूटते हैं
कितना बड़ा सच है ये
पर समझते नहीं,कितने अजीब होते हैं
रिश्तें।

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