शीत की प्रभात में
मैं कहु प्रकृति की बात।
उसके हरियाली आँचल में
फैला घना कोहरा,
बीच में से आती सूरज की किरणें,
लगते सोना खरा।
या यू लगता जैसे
सफेद सोने में चमक रहा हो
पीले पत्थर की चमक
ये है प्रकृति की दमक।
ओस की बूँदें हैं या
प्रकृति ने किया अभी स्नान।
भीगे पत्ते भीगी कलियाँ,
काँपते फूलों की पंखुरियाँ।
गेंदे, अतोशि,गुलाब,डालिया
करते इसका श्रृंगार।
शीत की शोभा का क्या कहना।
waah kya sunder kavita kahi hai
जवाब देंहटाएंओस की बूँदें हैं या
प्रकृति ने किया अभी स्नान।
भीगे पत्ते भीगी कलियाँ,
काँपते फूलों की पंखुरियाँ।
गेंदे, अतोशि,गुलाब,डालिया
करते इसका श्रृंगार।
शीत की शोभा का क्या कहना।
sheet ke mousam mein jaa pahunche
khoobsurat shabad pryog kiye hain