एक शब्द वाले लघु प्रश्नोत्तर :
1. लेखिका का नाम क्या है?
उत्तर: अनीता गांगुली
2. यात्रा कहाँ से शुरू हुई?
उत्तर: देहरादून
3. केदारनाथ की यात्रा किस नदी के किनारे थी?
उत्तर: मन्दाकिनी
4. गौरीकुंड से केदारनाथ कितने किलोमीटर था?
उत्तर: 14 कि.मी.
5. लेखिका ने कितने दिनों की यात्रा का वर्णन किया है?
उत्तर: सात दिन
6. अलकनंदा और मन्दाकिनी का संगम कहाँ होता है?
उत्तर: रुद्रप्रयाग
7. यात्रा की पहली रात लेखिका कहाँ रुकी?
उत्तर: कोटद्वार
8.लेखिका ने बद्रिबाद की झील का वर्णन कैसे किया है?
उत्तर: सुंदर झील
9.बद्रीनाथ में कौन सी नदी बहती है?
उत्तर: अलकनंदा
10. बद्री की मूरत किस पत्थर से बनी है?
उत्तर: काली पत्थर
11.बद्रीनाथ मंदिर किस स्थान पर है?
उत्तर: तप्त कुंड
12.लेखिका ने कहाँ रुककर गंगा स्नान किया?
उत्तर: कनखल
13.ऋषिकेश में लेखिका कहाँ रुकी?
उत्तर: स्वर्गाश्रम
14.यात्रा का आखिरी स्थान क्या था?
उत्तर: ऋषिकेश
सन्दर्भ-प्रसंग-व्याख्या
“समुद्र तल से 11,075 फुट की ऊँचाई पर स्थित है केदारनाथ। बर्फ, बर्फ, बर्फ, रास्ते में जमी हुई बर्फ...”
सन्दर्भ:
ये पंक्तियाँ अनीता गांगुली द्वारा लिखित यात्रा-वृत्तांत "केदारनाथ बद्रीनाथ की यात्रा" से ली गई हैं।
प्रसंग:
इस अंश में लेखिका केदारनाथ पहुँचने के बाद वहाँ के दृश्यों और अनुभवों का वर्णन कर रही हैं, जो बहुत ऊँचाई पर स्थित है।
व्याख्या:
लेखिका बताती हैं कि केदारनाथ समुद्र तल से 11,075 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। वहाँ के रास्ते बर्फ से ढके हुए हैं, जिसे वे “बर्फ, बर्फ, बर्फ” दोहराकर उसकी महत्त्वपूर्णता और विशालता को दर्शाती हैं। वहाँ की सर्दी और बर्फीली हवाओं के बारे में बताते हुए लेखिका कहती हैं कि उनके हाथ-पैर तक काँप रहे थे। इसके बावजूद, वे वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता—जैसे पहाड़ों, मंदिर और आकाश की शोभा—का आनंद लेती हैं। यह अंश यात्रा के दौरान आने वाली कठिनाइयों और उनके आध्यात्मिक तथा प्राकृतिक अनुभवों का एक सुंदर चित्रण है।
अवतरण 2: “हमने बद्रीबाद की झील देखी, जिसे बद्री ताल भी कहा जाता है, बहुत ही सुंदर थी।”
संदर्भ: यह पंक्तियाँ अनीता गाँगुली द्वारा लिखित यात्रा-वृत्तांत "केदारनाथ बद्रीनाथ की यात्रा" से ली गई हैं।
प्रसंग: इस अंश में, लेखिका बद्री ताल की सुंदरता का वर्णन कर रही हैं।
व्याख्या: लेखिका ने बद्रीबाद की झील को बहुत ही सुंदर बताया है। इस झील को बद्री ताल भी कहते हैं। इस वर्णन से पता चलता है कि बद्रीनाथ के आस-पास के प्राकृतिक दृश्य बहुत ही मनमोहक हैं।
अवतरण 3: "अलकनंदा और मंदाकिनी का संगम होता है रुद्रप्रयाग, जहाँ दोनों नदियां मिलकर एक धारा में बहने लगती हैं।"
संदर्भ: यह पंक्तियाँ लेखिका अनीता गांगुली द्वारा लिखित यात्रा-वृत्तांत "केदारनाथ बद्रीनाथ की यात्रा" से ली गई हैं।
प्रसंग: इस अंश में, लेखिका दो प्रमुख नदियों, अलकनंदा और मंदाकिनी, के मिलन स्थल रुद्रप्रयाग का वर्णन कर रही हैं।
व्याख्या: लेखिका बताती हैं कि रुद्रप्रयाग एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है जहाँ अलकनंदा और मंदाकिनी नदियाँ मिलती हैं। यह संगम इन दोनों नदियों की यात्रा का एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, जहाँ वे एक होकर आगे बढ़ती हैं। यह स्थान प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ धार्मिक महत्व भी रखता है।
अवतरण 4: "केदारनाथ समुद्र तल से 11,075 फुट की ऊँचाई पर स्थित है। बर्फ़, बर्फ़, बर्फ़, रास्ते में जमी हुई बर्फ़..."
संदर्भ: यह पंक्तियाँ भी "केदारनाथ बद्रीनाथ की यात्रा" नामक पाठ से ली गई हैं।
प्रसंग: इस अंश में, लेखिका केदारनाथ पहुँचने के बाद वहाँ के मौसम और वातावरण का वर्णन कर रही हैं।
व्याख्या: लेखिका बताती हैं कि केदारनाथ बहुत ऊँचाई पर स्थित है, जिसकी वजह से वहाँ का मौसम बेहद ठंडा है। "बर्फ, बर्फ, बर्फ" का दोहराव वहाँ की अत्यधिक ठंड और रास्तों पर जमी हुई बर्फ को दर्शाता है। यह वर्णन दिखाता है कि वहाँ की यात्रा कितनी चुनौतीपूर्ण हो सकती है, लेकिन इसके बावजूद वहाँ की प्राकृतिक सुंदरता मन को मोह लेती है।
पाठ पर आधारित संक्षिप्त सारांश
यह पाठ लेखिका अनीता गांगुली की केदारनाथ और बद्रीनाथ की सात दिवसीय यात्रा का विस्तृत वर्णन है। यह यात्रा देहरादून से शुरू होती है। लेखिका ने अपनी इस यात्रा में आने वाली चुनौतियों, अनुभवों और प्राकृतिक सौंदर्य का बहुत ही सुंदर चित्रण किया है।
यात्रा की शुरुआत देहरादून से होती है, जहाँ से वे कोटद्वार पहुँचते हैं। इस यात्रा में उन्हें विभिन्न नदियाँ, जैसे मंदाकिनी और अलकनंदा, और उनके संगम स्थलों को देखने का अवसर मिलता है। लेखिका ने रुद्रप्रयाग के संगम का विशेष रूप से उल्लेख किया है।
केदारनाथ की यात्रा पैदल चढ़ाई वाली है, जहाँ रास्ते में बहुत बर्फ जमी होती है। लेखिका ने इस यात्रा की कठिनाइयों और वहां के ठंडे मौसम का वर्णन किया है, जिससे उनके हाथ-पैर तक काँप रहे थे। उन्होंने गौरी कुंड से केदारनाथ तक की 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा का अनुभव भी साझा किया है।
बद्रीनाथ पहुँचने पर, लेखिका वहाँ के मंदिर, तप्त कुंड, और बद्री ताल जैसी सुंदर झीलों का वर्णन करती हैं। वे बद्री की मूरत के काले पत्थर से बनी होने का उल्लेख करती हैं। इसके अलावा, उन्होंने कनखल में गंगा स्नान और ऋषिकेश में स्वर्गाश्रम में रुकने का भी अनुभव साझा किया है।
यह यात्रा धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ प्राकृतिक सौंदर्य का भी एक सुंदर मिश्रण है, जिसमें लेखिका ने अपने अनुभवों को बहुत ही सहज और आकर्षक ढंग से प्रस्तुत किया है।
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