नए विचार- मधुछन्दा
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शुक्रवार, 4 जून 2010
सवाल नज़रों का...........
उसने मुझे
बड़े गौर से
एक बार देखा,
उसकी नज़रों में
कई सवाल थे,
मेरी नज़रे भी
सवालों से भरी थी,
उसकी नज़रों के सवालों
को जानना चाहती थी,
पर जवाब किसी के
पास नहीं था,
सवाल ये नज़रो का था।
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