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बंगलुरू के व्यस्त जीवन और गाड़ियों के
शोर-शराबे के बीच कमरे में बैठी नयना सुमित का इन्तज़ार कर रही थी। आज शुक्रवार है
और शनिवार और रविवार की छुट्टियों का प्लान बना रही थी। सुमित के आने पर वह अपना
प्लान बताएगी। बहुत दिन हुआ परिवार कही बाहर घुमने नहीं निकला। बच्चों की भी
गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही है।
सुमित आज घर देर से आया। नयना चाय तैयार
करती है। शावर लेने के बाद सुमित सीधे सोफे पर आकर लेट जाता है। नयना उसे चाय और
स्नेक्स देती है और धीरे-धीरे मन में दो दिन की छुट्टी का कैसे मज़ा लिया जाए,
क्या-क्या किया जाए, सुमित को बताने के लिए मन-ही-मन कोशिश करती है।
सुमित?
हूँ!
मुझे तुमसे कुछ
बात करनी है।
क्या बात? बोलो...
कल और परसों दो
दिन की छुट्टी है। मैं सोच रही थी कि बहुत दिन हुए हम सब कही बाहर नहीं गए। बच्चों
की छुट्टियाँ चल रही है। चलो न कही हो आए?
कैसे होगा? अचानक तुमने ये प्लान बना लिया। मुझसे पुछा तो होता।
क्यों क्या
प्रॉब्लम है? कल क्यों नहीं
जा सकते?
कल नहीं होगा।
कल मेरे बॉस के यहाँ पार्टी है। हमें बुलाया है।
कल पार्टी है।
हम दोनों को जाना है। पर बच्चे, उन्हें साथ लेकर जा सकते है?
Don’t worry. It’s a family party. हम बच्चों को
साथ में ले चलेंगे।
नयना थोड़ी आश्वस्थ होती है। लेकिन
उसे उतना अच्छा नहीं लगता क्योंकि पार्टियों में जा-जाकर वह थक चुकी है। एक वक्त
था जब सुमित के साथ वह बहुत सारा समय बिता पाती थी। उसकी नयी-नयी शादी हुई थी और
सुमित हर सप्ताहान्त उसे कही-न-कही बाहर घुमाने ले जाता था। समय अपनी गति से चलता
गया और धीरे-धीरे दोनों के पास एक-दूसरे के लिए समय की कमी होने लगी। बच्चों को
होने के बाद नयना उनके पालन-पोषण में व्यस्त हो गयी और सुमित भी अपने परिवार की
सभी जिम्मेदारियों को पूरा करने में जुट गया। नयना ने कभी इसकी शिकायत नहीं की।
सुमित भी कभी नयना से किसी चीज की शिकायत नहीं करता। पर काम-काज के टेनशन में
चिढ़-चिढ़ा जरूर हो गया था। जब-जब कभी परिस्थिति बिगड़ती तो नयना स्थिति को सम्भाल
लेती थी।
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पार्टी में
जाने के लिए सभी तैयार हो रहे थे। तभी सुमित को उसके किसी ऑफिस के कलीग का फोन आता
है। सुमित उससे काफी देर तक बात करता है। बात-बात में वह बहुत उत्तेजित हो जाता
है। फोन रखकर वह पार्टी में जाने के लिए तैयार होने लगता है। वह थोड़ा परेशान है
और इसी परेशानी में उसके मुँह से निकलता है – गा........चू..या!! नयना यह सुन लेती है। वह बच्चों को कमरे से बाहर भेज
देती है और सुमित के पास आकर उसका कोट ठीक करने लगती है।
“तुम भी ना। तुमसे कितनी बार कहा है कि इस तरहा की गन्दी
गालियाँ मुँह से मत निकाला करो। बच्चे सुनेंगे तो क्या सोचेंगे तुम्हारे बारे में।
हम रोज उन्हें सिखाते है कि कभी-भी किसी को गन्दी गाली नहीं देनी चाहिए। और तुम हो
कि। मुझे मालूम है कि तुम परेशान हो पर इसका मतलब ये नहीं कि तुम ऐसी गन्दी
गालियाँ निकालो। इससे तुम्हारी परेशानी तो हल नहीं होगी।” सुमित गुस्से
से – Please मुझे लेक्चर मत
दो। मैं वैसे ही बहुत परेशान हूँ। अगर तुम लोग तैयार हो चुके हो तो पार्टी के लिए
चले?
पार्टी में
बहुत से मेहमान के बीच सुमित, बच्चों और नयना को लेकर अपने बॉस से मिलवाने ले जाता
है। नयना सुमित के बॉस से कई बार मिल चुकी थी। नयना को सुमित के बॉस से चिढ़ मचती
थी। जब पहली बार सुमित शादी के बाद अपने बॉस और बाकी स्टाफ से मिलाने ले गया था तो
उसके बॉस ने उसे (लौं) कहकर सम्बोधित किया था जो कि नयना को बिलकुल पसन्द नहीं आया
था। वह आश्चर्यचकित हो गयी थी कि इतने पढ़े-लिखे व्यक्ति जो कम्पनी में भी अच्छी
पोस्ट पर हो वह कितनी भद्दी भाषा का इस्तेमाल करता है। लेकिन उसके आश्चर्य की सीमा
तब नहीं रही जब सुमित के मुखश्री से भी इसी प्रकार की गंदे शब्दों की गंगा बहते वह
देखती। आम तौर पर बॉस और सुमित ऐसे ही बात किया करते थे जिससे नयना को चिढ़ थी।
पार्टि में देर तक बातचीत, शोर-शराबा हो हल्ला मचता रहा। आखिरकार देर रात वे लोग
घर आए। बच्चों को सुला चुकने के बाद नयना कमरे में आती है तो सुमित को अकेला
मोबाइल लेकर हंसते हुए पाती है। नयना समझ जाती है कि आज फिर कोई मेसेज आया होगा।
आमतौर पर वह सुमित का मोबाइल कभी-कभार ही देखती या इस्तेमाल करती वह भी जब उसे
लम्बे समय के लिए अपनी माँ से बात करनी हो। सुमित उसे अपना मोबाइल दे देता था।
सुमित मोबाइल
में मेसेज पढ़कर चुपचाप सो जाता है। उसने पार्टी में शराब भी पी थी इसलिए उसे
जल्दी नींद आ जाती है। लेकिन नयना को नींद नहीं आती है। वह बेठे-बेठे सुमित का
मोबाइल लेती है और उसमें व्हाट्सअप पर आए मेसेज पढ़ने लगती है। नयना के होश उड़
जाते है जब उसे उसमें अश्लील विडियो तथा गन्दें चुटकुलों की भरमार मिलती है। नयना
उन चुटकुलों को और नहीं पढ़ पाती और सुमित पर उसे बहुत गुस्सा आता है। अगले दिन
सुबह वह उठती है। रविवार का दिन था सो बाकी सभी देर से उठते है। नयना सुबह का
नाश्ता तैयार कर चुकी थी पर बीती रात से वह परेशान थी। उसकी परेशानी की वजह ये थी
कि सुमित का मोबाइल अक्सर बच्चे लेकर खेलने लगते है। वे बड़े हो रहे है और उन्हें
मोबाइल की हर तरह की जानकारी है। क्या पता बच्चों ने भी ये सारे मेसेजेस पढ़ लिए
होंगे। बच्चे इस तरहा की बातें जल्दी ही सीख लेते है।
घर के सभी लोग
जब उठे तो नयना सबको नाश्ता देने लगी। सुमित की ओर वह गुस्से से देख रही थी। सुमित
समझ नहीं पाता है कि नयना आज अजीब व्यवहार क्यों कर रही है। बच्चे नाश्ता खाने के
बाद बाहर खेलने चले जाते है। सुमित नयना के अजीब व्यवहार का राज़ जानने के लिए
उसके पास जाता है।
नयना?
हूँ?
क्या हुआ है
तुम्हें? तुम इस तरहा
अजीब से पेश क्यों आ रही हो?
क्यों मैंने
क्या किया, मैं तो बिलकुल ठीक हूँ। तुम बताओं तुम्हें क्या हुआ है?
मुझे क्या
होगा। मैं तो बिलकुल ठीक हूँ और फ्रेश फील कर रहा हूँ।
ऐ चलो न
आज.....(नयना की कमर पर हाथ रखते हुए)
नयना उसे हटा
देती है और सुमित की ओर गुस्से से अधिक दया भाव से देखती है।
सुमित?
हूँ....बोलो
डार्लिंग?
कल मैंने
तुम्हारा मोबाइल देख रही थी। कैसे-कैसे गंदे मेसेजेस और विडियोज आते हैं तुम्हें।
तो इसमें क्या
हुआ। Its only for fun baby.
तुम्हें ये
सारे गंदे जोक्स फनी लगते हैं? बिवी बस पैसों
से ताल्लुक रखती है, पति को बेवजह परेशान करती है, ......पति से छुपाके दूसरे
मर्दों से रिश्ता बनाती है,...अपने बच्चों....(गुस्से से)।
ओह! Come on baby, Naynaa…ये सब सिर्फ
जोक्स है, सिर्फ हंसने हसाने के लिए। तुम इन सब को लेकर कुछ ज्यादा ही सोच रही
हूँ।
मैं ज्यादा
नहीं बल्कि सही सोच रही हूँ। इस तरहा के बेमाने जोक्स हंसने-हंसाने के लिए जरूर
होंगे लेकिन यही आजकल लड़ाई-झगड़े की वजह बन चुकी है। जिन लोगों के साथ ऐसा सचमुच
का भी होता होगा उनकी मानसिक दशा क्या होगी पता नहीं। दूसरों की ज़िन्दगी की
तकलीफों को जोक्स की तरहा इस्तेमाल करना छी......शराब पीने से सारे गम दूर हो जाते
है...पढ़ाई-लिखाई से कुछ हासिल नहीं होता.....ये सारे जोक्स।। सबसे बुरी बात यह है
कि पत्नी हो या औरत सबको पैसों का लालची और मर्दों के पीछे भागने वाली बता-बता कर
जोक्स के जरिए भी मजाक उढ़ाना।
अगर बच्चे इन
सारे जोक्स को पढ़ेंगे तो क्या सिखेंगे। कुछ अच्छा तो जरूर नहीं सिखेंगे। तुम कभी
इन सब चीजों के बारे में सोचते भी हो।
हलो। क्या
सुबह-सुबह मूड खराब कर रही हो। लेक्चरर हो तो क्या घर में भी लेक्चर दोगी। और ये
सारे जोक्स मैं सिर्फ पढ़ता हूँ। इनका वास्तविक ज़िन्दगी से लेना-देना नहीं है।
देख रही हूँ।
कितना इस बात को फोलो कर रहे हो। हः
यार तुम भी ना।
क्या चाहती हो तुम, बताओगी मुझे?
बस इस तरहा के
जोक्स और अश्लील विडियोज तुम्हारे मोबाइल से हटा दो। ताकी बच्चे ये सब न देख पाए।
तुम भी क्या जब
तब भाषण देती रहती हो। हटो मुझे अभी काम करने दो।
नयना गुस्से में तमतमाते हुए कमरे से
निकल गयी और अपने-आप को घर के काम में व्यस्त करने लगी।
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कुछ दिन बाद
नयना को बच्चों के स्कूल से फोन आता है। टीचर बहुत अधिक क्रोध में थी और नयना और
सुमित दोनों को आने के लिए कहती है। नयना को समझ में नहीं आता कि ऐसा क्या हो गया
कि दोनों को ही बुलाया गया हो।
नयना सुमित को
फोन करके सब कुछ कहती है और अगले दिन बच्चों के स्कूल दोनों जाते हैं।
टीचर और
प्रिंसिपल दोनों वहाँ पर मौजूद थे।
टीचर: आइए! आइए! कैसे है दोनों
आप?
नयना: जी नमस्ते। क्या बात है, आपने हम दोनों को बुलाया, कल आप
कुछ डिस्टर्ब लग रही थी?
टीचर: देखिए मुझे आप दोनों से ही बात करनी है। आप दोनों अपने
बच्चों को कैसी शिक्षा देते हैं?
नयना – ये कैसी बात कर रही है आप। हम अपने बच्चों को बहुत अच्छी शिक्षा देते हैं।
टीचर – तभी तो आपका बेटा गन्दी गालियाँ देता है।
सुमित – What the f…? मेरा बेटा ऐसा
कर ही नहीं सकता। जरूर आपसे कोई गलतफहमी हुई है।
टीचर – Please mind
your language. यदि आप दो-दो लेडिज के सामने इस तरहा से बातें करते हैं
तो आप कैसे कह सकते है कि आपका बेटा इस तरहा से बात नहीं करता।
सुमित – देखिए आप लोग तो कुछ कहिए मत ही कहिए...........
नयना इन सब बातों के बीच में अपना आपा
पूरी तरहा से खो चुकी थी। उसे लग रहा था जैसे किसी ने उसके शरीर से खाल उतार दी हो।
जिन बच्चों को वह रात-दिन खुद पढ़ाती थी, नसिहते देती रहती थी, जिनके साथ समय
बिताया करती थी। उन पर उसके गुणों को अपनाने की बजाए पिता के मुँह से सुनी दो-चार
बार की गालियों का इतना असर कर गया था। उसे सुमित पर बहुत गुस्सा आ रहा था। वह
गुस्से में वहाँ से उठी और चुपचाप बच्चों की तरफ मुड़ी और अपने बेटे को एक जोर दार
तमाचा जड़ दिया। बच्चा बहुत जोर से रोने लगा और ये सब देखकर सुमित तथा टीचर और
प्रिंसिपल सभी ने बहस छोड़ दी। नयना क्रोधित नेत्रों से सुमित की तरफ देख रही थी।
फिर वह बिना कुछ बोले दोनों बच्चों को साथ में लेकर चली गयी। सुमित यह सब देखकर
शर्मिंदा होता है। उसे लगता है जैसे नयना ने बेटे को नहीं बल्कि उसे तमाचा मारा
है। लेकिन वह कुछ नहीं कर सकता था। सुमित के सामने सारे तथ्य थे जिससे यह स्पष्ट
था कि उसके बच्चों ने जाने-अनजाने में गाली देना सीख लिया है और इसमें उसकी ही
भूमिका थी। सुमित अब किसी पर भी गुस्सा ज़ाहिर नहीं कर सकता था।