तेरे साथ चलती रही है मेरी यादें हर कही
अब साथी मेरे अलग रास्ते की गुँजाईश ही नहीं
प्यार करके छोड़ दे तुम्हें तन्हा
ऐसा हो सकता नहीं
मिलो तुम चाहे न मिलो
मेरी ऐसी कोई ख़्वाहिश भी नहीं
प्यार करने में अगर देरी की हमने
तो क्या हुआ?
लो अब कह देते है तुम्हें
सुन लो जरा
चलेगी ज़िन्दगी हमारी यू ही
तुम्हें याद करते-करते ही
प्यार मिले, मिले ना सही
तुमसे रिश्ता तोड़ेंगे नहीं।
बहुत अच्छे भाव !!
जवाब देंहटाएंThanks Sangita ji.
जवाब देंहटाएंNice poem madhu... I can understand :)
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