चाह कर भी
चाह
कर भी
कह
नहीं पाते है दिल की बात
हो
जाते है गुमसुम
दर्द
भरे, अजनबी हालात
अनजाने
वो हो जाते हैं
जो
हैं बरसों जान-पहचाने
क्यों
करते है ऐसा
बोलो
हम क्या जाने
रिश्तें
टूट चुके है पर
अभी
भी हैं निभाते हुए
अपने
थे कभी यें
पर
अब पराए हुए
दोनों
की मंजिल नहीं है एक
तो
चलना क्यों साथ-साथ
हमराही
की गुंजाइश कहाँ है
अब
तो तन्हा है हालात।
बेहतर..लिखती रहें..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ..