1
वर्षों तक वन में घूम-घूम-----देखे आगे क्या होता हैं।
प्रसंग :- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि दिनकर जी
पाँडवों के संघर्षों के बारे में बता रहे हैं। पाँडव दुर्योधन के साथ द्यूत
क्रीड़ा में हार गये थे। उसमें अपना सबकुछ हार जाने के बार कौरवों ने पाँडवों को
12 वर्षों के लिए वनवास तथा एक वर्ष का अज्ञात वास दिया था। इस वनवास की समयावधि
में पाँडवों को कई प्रकार की चुनौतियों का सामना करना पड़ा था। तब जाकर वे सफल हुए
तथा पहले से भी अधिक शक्तिशाली होकर लौटे।
व्याख्या :- कवि कहते हैं कि वर्षों तक पाँडव वनों में
घूमते रहे हैं। उन्हें इस वनवास में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। जैसे
जयद्रथ द्वारा द्रौपदी का अपहरण की चेष्टा, यक्ष की परीक्षा इत्यादि। अर्जुन को भी
भगवान शिव से दिव्यास्त्र पाने के लिए उनसे भी युद्ध करना पड़ा जिससे शिव उनसे
प्रसन्न होते हैं और अर्जुन को दिव्य अस्त्र प्रदान करते हैं। वन में उन्हें
गर्मी, वर्षा तथा शीत का भी सामना करना पड़ा। तब जाकर पाँडव कुछ और अधिक निखर आते
हैं, शक्तिशाली बन जाते हैं। कवि कहते हैं कि सौभाग्य कभी भी हर दिन सोता नहीं है।
बल्कि समय आने पर जागता है। अर्थात् आज दुख है तो कल सुख अवश्य होता है। अब देखते
हैं कि पाँडवों के भाग्य में क्या लिखा है और क्या होता है।
2
मैत्री की राह बताने को-------पाँडव का संदेशा लाये।
प्रसंग:- प्रस्तुत पंक्तियों में कवि बताते हैं कि महाभारत का युद्ध
जिसमें बहुत विनाश हुआ था उसको रोकने के लिए स्वयं भगवान कृष्ण ने भी चेष्ठा की
थी। वे कौरवों तथा पाँडवों के बीच समझौता कराना चाहते थे।
व्याख्या:- कवि कहते हैं
कि श्री कृष्ण पाण्डवों के वनवास पूरे होने के बाद कौरवों तथा पाँडवों में मैत्री
अर्थात् मित्रता बनी रहे इसके लिए वे स्वयं हस्तिनापुर जाते हैं। सबको सुमार्ग की
राह पर लाने के लिए, दुर्योधन को समझाने के लिए एवं युद्ध में होने वाले महाविनाश
को रोकने के लिए वे हस्तिनापुर जाते हैं। श्री कृष्ण क्योंकि भगवान थे अतः वे जानते
थे कि यदि महाभारत का युद्ध होता है तो फिर बहुत विनाश होगा। साथ-ही-साथ दोनों
पक्षों को भी बहुत भीषण हानी पहुँचेगी। इस कारण वे इस महाविनाश को रोकने की अंतिम
चेष्टा करते हैं तथा पाँडवों की ओर से संदेशा लेकर जाते हैं।
3
दो न्याय अगर तो आधा दो -----------परिजन पर असि न
उठायेंगे।
प्रसंग :-प्रस्तुत पंक्तियों में कृष्ण दुर्योधन को समझाते हुए न्याय
करने की बात कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि आधा राज्य दो या फिर पाँच गाँव ही दे दो
वे इससे ही प्रसन्न रहेंगे और परिजनो अर्थात् कौरवों पर तलवार नहीं उठायेंगे।
व्याख्या :- श्री कृष्ण हस्तिनापुर की राजसभा में दुर्योधन को समझा रहे
हैं कि अगर पाँडवों के साथ न्याय करना चाहते हो तो आधा राज्य उन्हें वापस कर दो।
क्योंकि द्यूत क्रीड़ा में हराने के बाद कौरवों ने यही शर्त रखी थी कि यदि पाँडवों
ने सफलतापूर्वक 12 वर्ष का वनवास तथा एक वर्ष का अज्ञातवास पूरा कर लिया तो फिर
उन्हें उनका राज्य वापस मिल जाएगा। परन्तु दुर्योधन ने ऐसा नहीं किया। तब कृष्ण
उन्हें समझाते है कि यदि न्याय करना चाहते हो तो पाँडवों को आधा राज्य दे दो। यदि
ऐसा करने में भी यदि असमर्थ हो तो केवल पाँच गाँव हो दे दो। अपने पास अपनी जीती
हुई सारी धरती रख लो। पाँडव केवल इन पाँच गाँव को ही लेकर संतुष्ट हो जाएंगे। वे
परिजनों अर्थात् कौरवों पर राज्य वापस पाने के लिए तलवार नहीं उठायेंगे।
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