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शनिवार, 18 अप्रैल 2020

पिता को समर्पित


मैं पिता हूँ

संतान की मंगल कामना में

रात-दिन न, थकने वाला,

न रुकने वाला,

निशब्द, निर्विकार,

चलने वाला प्राणी हूँ।



एक हँसी संतान की जो

मन को तृप्ति से भर दे

एक परिचय जो संतान से मिले

उसी की आशा में जीवन बिता दे

हाँ मैं वही पिता हूँ।



मेरी घड़ी चल जाती है

बरसों तक

मेरे कपड़े नए हो जाते है

हर महिने

मेरे जूते चल जाते हैं

हर महिने

हाँ मैं वही पिता हूँ।



बिटियाँ के रसोई के खिलौने से

पेट भर जाता है मेरा

बेटे की टॉय साईकिल से

दुनियाँ घूम लेता हूँ।

मेरे नाम कई है

बाबा, अप्पा, देवता

पप्पा, बाबू, डेडी, डूड

हाँ मैं वही पिता हूँ।



बेटे की इच्छाओं का

मैं आकाश हूँ

बिटियाँ के सुख का

मैं प्रकाश हूँ

हाँ मैं वही पिता हूँ।



जब माँ न हो पास

तो मैं ममता हूँ

जब दादी न हो पास

तो मैं रस भरी कथा हूँ

जब दादा न हो पास

तो मैं कंधे की सवारी हूँ

हाँ मैं वही पिता हूँ।



जग में माँ का स्थान

कोई न ले पाएगा।

लेकिन यह भी सच है कि

पिता न कोई यू ही बन जाएगा।

मैं निरन्तर तपने वाला

एक तपस्वी हूँ

हाँ मैं पिता हूँ।


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