एक शब्द में लघु प्रश्नोत्तर
गंगा को किसकी माता माना गया है?
आर्य जाति
गंगा तट पर रहने से किसका डर नहीं रहता?
अकाल
नदी के किनारे हवा कैसी होती है?
शुद्ध और शीतल
गंगा-यमुना का संगम किस स्थान पर होता है?
प्रयाग
प्रयागराज को किस नाम से जाना जाता था?
प्रयागराज
गंगा नदी कहाँ से निकलती है?
हिमालय
गंगा के तट पर किन सम्राटों के नाम आते हैं?
समुद्रगुप्त या अशोक
गंगा का दर्शन किसका प्रत्यक्ष दर्शन है?
तीथों और पावनता
गंगा किस-किस देश से गुजरती है?
भारत
गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियाँ कहाँ मिलती हैं?
गोलंद
गंगा और ब्रह्मपुत्र मिलकर कौन सा नाम लेती हैं?
पद्मा
गंगा किस तरह का धन प्रदान करती है?
समृद्धि
लेखक के अनुसार, गंगा के किनारे क्या खड़े हो गए हैं?
कल-कारखाने
कौन सा देश हिंदुस्तान के बाजारों को पाट देता था?
जापान
गंगा के तट पर किन संतों के नाम आते हैं?
तुलसी और कबीर
संदर्भ सहित व्याख्या वाले नोट्स
"गंगा कुछ न करती, केवल देवव्रत भीष्म को ही जन्म देती तो भी वह आज आर्य जाति की माता कहलाती।"
संदर्भ: यह पंक्ति निबंध के आरंभ में गंगा के महत्व और माता के रूप में उसकी प्रतिष्ठा को बताती है।
व्याख्या: लेखक बताते हैं कि गंगा केवल एक नदी नहीं है, बल्कि वह आर्य जाति की माँ है। यदि गंगा केवल भीष्म जैसे महान पुरुष को जन्म देती, तो भी वह आर्य जाति के लिए पूज्यनीय हो जाती। भीष्म ने अपना पूरा जीवन ब्रह्मचर्य और निस्वार्थ सेवा में समर्पित कर दिया, और इसी कारण वे आर्यों के लिए एक आदर्श बन गए।
"कबीर, तुलसी और कबीर जैसे संत महात्माओं की साखियाँ और भजन-इन सबों का स्मरण हो आता है।"
संदर्भ: यह अंश गंगा तट से जुड़े हुए आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व को दर्शाता है।
व्याख्या: लेखक कहते हैं कि गंगा का दर्शन करने पर केवल प्राकृतिक सुंदरता ही नहीं, बल्कि भारत की महान सांस्कृतिक विरासत भी याद आती है। गंगा के किनारे ही वाल्मीकि, तुलसीदास और कबीर जैसे महान संत-महात्माओं ने अपनी रचनाएँ कीं और लोगों को ज्ञान दिया। गंगा का तट इन सभी महान आत्माओं की साधना-स्थली रहा है।
"गंगा-ब्रह्मपुत्र का कायाकल्प हो जाता है। ये अनेक मुखों द्वारा सागर में मिलकर पद्मा का नाम धारण करती हैं। यह पद्मा आगे चलकर मेघना के नाम से पुकारी जाती है।"
संदर्भ: यह अंश गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के मिलन और उनके आगे के मार्ग का वर्णन करता है।
व्याख्या: लेखक बताते हैं कि गंगा और ब्रह्मपुत्र जब गोलंद के पास मिलती हैं, तो उनका रूप बदल जाता है। ये दोनों नदियाँ मिलकर एक नई पहचान बना लेती हैं। इस संगम के बाद, वे पद्मा के नाम से जानी जाती हैं, और यह पद्मा आगे चलकर मेघना नाम से पुकारी जाती है। यह नदियों का मिलना, उनके मिलन की प्रक्रिया और नई पहचान प्राप्त करने का एक सुंदर चित्रण है।
"आज जाकर आप देखें तो उस प्राचीन काल की कोई भी बात वहाँ नहीं रही। जहाँ देहात वहाँ सन की बोरियाँ बनाने वाले मिले हैं और इसी तरह के दूसरे बदसूरत कल-कारखाने खड़े हो गए हैं।"
संदर्भ: यह पंक्तियाँ गंगा के वर्तमान हालात और उसके बदलते परिवेश पर लेखक की निराशा को व्यक्त करती हैं।
व्याख्या: लेखक इस बात पर दुख जताते हैं कि गंगा के तट का स्वरूप अब बदल गया है। जहाँ कभी आध्यात्मिक शांति और प्राकृतिक सौंदर्य था, वहाँ आज कुरूप और गंदे कारखाने खड़े हो गए हैं। ये कारखाने प्रदूषण फैलाकर गंगा की प्राचीन पवित्रता और सुंदरता को नष्ट कर रहे हैं। यह आधुनिकता के नाम पर प्रकृति के विनाश का एक दुखद उदाहरण है।
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