कुल पेज दृश्य

मंगलवार, 19 अगस्त 2025

BCA 1st sem SEP Ridh ki haddi notes


'रीढ़ की हड्डी' के आधार पर 15 लघु प्रश्नोत्तर

उमा किस तरह की लड़की है?

उत्तर: पढ़ी-लिखी

रामस्वरूप अपनी बेटी के विवाह के लिए क्या छिपाते हैं?

उत्तर: शिक्षा

गोपाल प्रसाद अपने बेटे के लिए कैसी बहू चाहते हैं?

उत्तर: कम-पढ़ी

गोपाल प्रसाद के बेटे का नाम क्या है?

उत्तर: शंकर

शंकर की क्या बीमारी है?

उत्तर: रीढ़

रामस्वरूप ने घर में मेहमानों के लिए क्या मंगवाया था?

उत्तर: नाश्ता

उमा की माँ का नाम क्या है?

उत्तर: प्रेमा

शंकर किस कॉलेज में पढ़ता था?

उत्तर: मेडिकल

गोपाल प्रसाद किसकी पढ़ाई को 'बाबू' की पढ़ाई कहते हैं?

उत्तर: लड़कियों

गोपाल प्रसाद किस विषय में बहस करते हैं?

उत्तर: व्यापार

उमा अपने अपमान का जवाब किस तरह देती है?

उत्तर: व्यंग्य

शंकर लड़कियों के हॉस्टल में क्यों गया था?

उत्तर: पकड़ा गया था

शंकर का चरित्र कैसा है?

उत्तर: कमजोर

उमा ने अपनी पढ़ाई कहाँ तक पूरी की थी?

उत्तर: बी.ए.

नाटक का शीर्षक 'रीढ़ की हड्डी' किसके चरित्र की कमजोरी को दर्शाता है?

उत्तर: शंकर

संदर्भ सहित व्याख्या

1. "यह तो गजब हो गया! उसकी खूबसूरती का तो कहना ही क्या।"

संदर्भ: यह कथन गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर के लिए एक सुंदर और कम पढ़ी-लिखी लड़की की तलाश करते समय कहते हैं।

व्याख्या: यह पंक्ति समाज की उस मानसिकता को दर्शाती है जहाँ लड़कियों की सुंदरता को उनकी योग्यता से अधिक महत्व दिया जाता है। गोपाल प्रसाद के लिए बहू की शिक्षा गौण है, पर उसका रूप-रंग सबसे महत्वपूर्ण है। यह लड़कियों को एक वस्तु के रूप में देखने की संकीर्ण सोच को उजागर करता है।

2. "जब तक बेटी को ब्याहने के लिए लोग आते हैं, तब तक वे वस्तु ही रहती हैं।"

संदर्भ: यह कथन रामस्वरूप अपनी पत्नी प्रेमा से कहते हैं, जब वे उमा को देखने आने वाले मेहमानों के सामने उसकी शिक्षा छिपाने की बात पर चर्चा कर रहे होते हैं।

व्याख्या: यह पंक्ति समाज की क्रूर वास्तविकता को दर्शाती है जहाँ विवाह के समय लड़की को एक व्यक्ति के बजाय एक 'वस्तु' की तरह देखा जाता है, जिसकी कीमत लगाई जा रही हो। यह रामस्वरूप की विवशता और समाज के दबाव को दिखाता है, जहाँ एक पिता को अपनी बेटी की योग्यता छिपाकर उसे स्वीकार्य बनाना पड़ता है।

3. "आपकी रीढ़ की हड्डी है भी या नहीं?"

संदर्भ: यह कथन उमा गोपाल प्रसाद और उनके बेटे शंकर से बातचीत के दौरान गुस्से में कहती है।

व्याख्या: यह नाटक का सबसे महत्वपूर्ण संवाद है। उमा इस व्यंग्यात्मक प्रश्न के माध्यम से शंकर के चरित्र की कमजोरी पर सीधा प्रहार करती है। 'रीढ़ की हड्डी' यहाँ सिर्फ शारीरिक दोष नहीं, बल्कि नैतिक और मानसिक साहस का प्रतीक है। शंकर के पास अपनी राय नहीं है और वह अपने पिता के हर गलत विचार का समर्थन करता है। उमा का यह सवाल गोपाल प्रसाद के खोखले आदर्शों और शंकर की व्यक्तित्वहीनता पर करारा व्यंग्य है, जो समाज की पितृसत्तात्मक सोच को चुनौती देता है।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you for your support