१ पहेलियों में मत बुझाइए दादी... क्या हुआ था वह बताओ... दिल्ली से आए... हमारे कुल का उद्धार किया... तुम क्या कह रही हो...? मुझे तो कुछ समझ नहीं आया!" की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर: यह संवाद सूत्रधार ने बूढ़ी औरत से कहा है।
संदर्भ:
इस दृश्य में, सूत्रधार बूढ़ी औरत से उसके रोने का कारण पूछता है। बूढ़ी औरत सीधे जवाब देने की बजाय अपने पूर्वजों के बारे में पहेलियों में बात करती है कि वे दिल्ली से आए थे और उन्होंने उनके कुल का उद्धार किया था, लेकिन वे अपने पीछे अपनी निशानियाँ छोड़ गए हैं। बूढ़ी औरत की इन बातों को सुनकर सूत्रधार भ्रमित हो जाता है और उसे सीधे-सीधे सब कुछ बताने के लिए कहता है।
व्याख्या:
यह संवाद इस बात पर जोर देता है कि कैसे दो अलग-अलग पीढ़ियों के बीच संवाद की कमी है। सूत्रधार, जो आधुनिक पीढ़ी का है, सीधे और तार्किक जवाब चाहता है। वह बूढ़ी औरत की तरह पहेलियों और भावनाओं में बात नहीं समझ पाता। बूढ़ी औरत का अपनी बातों को पहेलियों में कहना यह भी दिखाता है कि वह अपने कुल के इतिहास के महत्व को समझती है और चाहती है कि सूत्रधार भी इसे गंभीरता से ले। यह संवाद इस बात को दर्शाता है कि पुरानी पीढ़ी की कहानियाँ और इतिहास को समझने के लिए एक विशेष संदर्भ की आवश्यकता होती है, जिसे नई पीढ़ी अक्सर नहीं समझ पाती।
२ "सिंदम्मा: (चिकमण्णुका को देखकर...) मैं पूछती हूँ, इस प्रकार अचानक बुलवाया कैसे...? जब तुम बुलाती हो आने से मना भी नहीं कर सकती... कुछ भी हो जाये...सोचकर सब कुछ जैसे का तैसा छोड़कर आ ही गयी।" की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
उत्तर: यह संवाद सिंदम्मा ने चिकमण्णुका को देखकर कहा है।
संदर्भ:
इस दृश्य में, बुढ़िया ने गाँव के सभी बच्चों को अचानक बुलवाया है ताकि वह उन्हें एक कहानी सुना सके। सिंदम्मा और बाकी बच्चे बुढ़िया के बुलाने पर अपना सारा काम छोड़कर उसके पास आ गए हैं। सिंदम्मा अपनी बात को चिकमण्णुका से कह रही है, लेकिन इसका उद्देश्य बुढ़िया से अपनी शिकायत जताना है कि उसने बिना किसी पूर्व सूचना के उन्हें बुलाया।
व्याख्या:
यह संवाद ग्रामीण जीवन के सामाजिक संबंधों और आपसी सम्मान को दर्शाता है। सिंदम्मा की बातों से पता चलता है कि गाँव में बुज़ुर्गों के प्रति गहरा सम्मान है। हालाँकि, वह शिकायत कर रही है कि उसे अचानक बुलाया गया, लेकिन वह यह भी कहती है कि वह बुढ़िया के बुलावे को मना नहीं कर सकती। यह दिखाता है कि ग्रामीण समाज में बड़ों की बात का मान रखना एक सामाजिक कर्तव्य माना जाता है, भले ही इसके लिए अपना काम छोड़ना पड़े। यह संवाद सम्मान, कर्तव्य और शिकायत के बीच के सूक्ष्म संतुलन को दर्शाता है, जो भारतीय ग्रामीण संस्कृति में आम है।
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