ताजमहल (निबंध) - भगवतशरण उपाध्याय
यह निबंध ताजमहल की भव्यता, उसके निर्माण और उसकी अमरता का वर्णन करता है। लेखक बताते हैं कि ताजमहल दुनिया के अजूबों में से एक है। इसका निर्माण बादशाह शाहजहाँ ने अपनी बेगम मुमताज़महल की याद में करवाया था। निबंध में ताजमहल की वास्तुकला की सुंदरता, उसके सफेद संगमरमर और उसके चारों ओर के बागों का वर्णन किया गया है। लेखक यह भी बताते हैं कि इसे बनाने में 22 साल का समय लगा था और इसे देश-विदेश के कुशल कारीगरों ने बनाया था। ताजमहल केवल एक मकबरा नहीं, बल्कि प्रेम, कला और समर्पण का प्रतीक है।
गंगा मैया (निबंध) - काका कालेलकर
इस निबंध में लेखक ने गंगा नदी के धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व पर प्रकाश डाला है। वे गंगा को केवल एक नदी नहीं, बल्कि आर्य जाति की माँ मानते हैं। निबंध में गंगा के उद्गम (हिमालय) से लेकर उसके सागर में मिलने तक के सफर का वर्णन है। लेखक बताते हैं कि गंगा के तट पर ही भीष्म, वाल्मीकि, तुलसीदास और कबीर जैसे महान संतों ने जन्म लिया और साधना की। यह नदी भारत की कृषि और समृद्धि का आधार रही है। हालांकि, निबंध के अंत में लेखक आधुनिक युग में गंगा के तट पर खड़े होते कल-कारखानों और बढ़ते प्रदूषण पर दुख भी व्यक्त करते हैं, जो इसकी पवित्रता को नष्ट कर रहे हैं।
भक्तिन (कहानी) - महादेवी वर्मा
यह कहानी एक सेविका भक्तिन और लेखिका महादेवी वर्मा के बीच के गहरे और आत्मीय संबंध को दर्शाती है। कहानी तीन परिच्छेदों में भक्तिन के जीवन की यात्रा को बताती है। पहले में उसके बचपन और शादी का दुखद अनुभव, दूसरे में उसकी बेटियों के साथ हुए सामाजिक भेदभाव और संघर्ष और तीसरे में उसके पति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति के लिए परिवार के साथ हुए मुक़दमे का वर्णन है। इन सभी दुखों के बाद वह शहर में महादेवी वर्मा के पास काम करने आती है।
लेखिका बताती हैं कि भक्तिन भले ही अशिक्षित और हठी थी, लेकिन वह बहुत समझदार, परिश्रमी और ईमानदार थी। वह अपनी मालकिन की सेवा में पूरी तरह समर्पित थी। उनका रिश्ता सिर्फ नौकर-मालकिन का नहीं, बल्कि उससे कहीं ज़्यादा गहरा और भावनात्मक था। कहानी के अंत में लेखिका कहती हैं कि वे भक्तिन के बिना अपने जीवन की कल्पना नहीं कर सकतीं और उसकी कहानी को अधूरा ही रखना चाहती हैं, ताकि वह हमेशा उनके साथ रहे।
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