लघु प्रश्नोत्तर (Short Answer Questions)
1. लेखक के अनुसार व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार क्या है और क्यों?
लेखक के अनुसार, व्यक्ति का जन्मसिद्ध अधिकार 'पागल होना' है। वे कहते हैं कि मनुष्य अपनी आत्मा और मन की शांति को बनाए रखने के लिए कुछ समय के लिए दुनियादारी से दूर, अपने हिसाब से जीने का अधिकार रखता है। यह एक तरह का विश्राम है जिससे वह फिर से समाज में अपनी भूमिका निभा सके।
2. "महानुभाव, आज एक ऐसे ही जन्मसिद्ध अधिकारी से भेंट हो गई।" लेखक ने यह किसके बारे में कहा है?
यह कथन लेखक ने उस व्यक्ति के लिए कहा है जो ट्रेन में उनके बगल में बैठा था और सो रहा था। लेखक व्यंग्यपूर्वक कहते हैं कि वह व्यक्ति दुनिया की भागदौड़ से दूर, बेफिक्र होकर सो रहा था, जैसे कि वह अपने 'जन्मसिद्ध अधिकार' का उपयोग कर रहा हो।
3. लेखक के अनुसार 'राजनीतिक दल' या 'शिक्षक' के पागल होने में क्या अंतर है?
लेखक के अनुसार, एक राजनीतिक दल का पागल होना जनता के लिए दुखदायी होता है, क्योंकि वे अपनी मनमानी से देश और जनता को नुकसान पहुँचाते हैं। इसके विपरीत, एक शिक्षक का पागल होना देश के लिए विनाशकारी होता है, क्योंकि वे राष्ट्र-निर्माण की नींव यानी विद्यार्थियों को सही ज्ञान देने में असफल हो जाते हैं।
4. लेखक ने मानवीय अधिकार आयोग को 'मानवीय अधिकार कमीशन' क्यों कहा है?
लेखक ने इसे व्यंग्यपूर्वक 'मानवीय अधिकार कमीशन' इसलिए कहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि यह संस्था भी सरकारी तंत्र का हिस्सा बन गई है। यह कमीशन उन लोगों के मानवीय अधिकारों की रक्षा करने में विफल है जो वास्तव में गरीब और शोषित हैं, बल्कि यह केवल दिखावे के लिए काम करता है।
संदर्भ सहित व्याख्या (Contextual Explanation)
प्रश्न: "यदि बात हो तो मानवीय अधिकार कमीशन के सामने भी दिन को न सोयी जाए और रात को भी न सोयी जाए का एक नया ही नारा एक नई ही नदी बहेगी। रात-रात जागने का कारण और ढूँढ़ लिया गया है! जब देवी जब मधुछन्दा बनने की आकांक्षा उस भयानक महाद्वीप में कब जनता की सेवा का अवसर और अधिकार हाथ में आता है। उसका क्या ठिकाना?"
संदर्भ: यह पंक्तियाँ निबंध के शुरुआती भाग से ली गई हैं, जहाँ लेखक 'जन्मसिद्ध अधिकार' के रूप में सोने या आराम करने के महत्व को व्यंग्य के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं।
व्याख्या:
इन पंक्तियों में, लेखक उस सरकारी और सामाजिक दबाव पर व्यंग्य कर रहे हैं जो व्यक्ति को लगातार काम करने और आराम न करने के लिए मजबूर करता है। वे कहते हैं कि 'मानवीय अधिकार कमीशन' भी शायद इस बात को स्वीकार नहीं करेगा कि आराम करना एक अधिकार है। लेखक इस बात का मजाक उड़ाते हैं कि लोग आराम न करने के लिए नए-नए बहाने ढूँढ़ते हैं, जैसे देशसेवा या किसी देवी (जैसे मधुछन्दा) के आदर्शों का पालन करना। इस संदर्भ में 'मधुछन्दा' नाम का प्रयोग किसी प्रसिद्ध व्यक्ति के रूप में किया गया है जो अपनी कर्मठता के लिए जानी जाती हैं। लेखक यह दर्शाना चाहते हैं कि समाज किस प्रकार व्यक्ति के आराम करने के 'पागलपन' को भी गलत ठहराता है।
प्रश्न: "किसी भी राष्ट्र को दो ही ताकतें बनाती हैं। उसके बुद्धिजीवियों और उसकी जनता। इस देश में ये दोनों ताकतें या तो असामाजिक नींद या अनावश्यक तनाव की शिकार हो, इस देश की नियति का निर्माण होना।"
संदर्भ: यह पंक्तियाँ निबंध के मध्य भाग से ली गई हैं, जहाँ लेखक 'राष्ट्र-निर्माण' में 'बुद्धिजीवियों' और 'जनता' की भूमिका पर विचार कर रहे हैं।
व्याख्या:
लेखक इस बात पर बल देते हैं कि किसी भी राष्ट्र की प्रगति दो प्रमुख स्तंभों पर टिकी होती है: बुद्धिजीवी (शिक्षक, लेखक, वैज्ञानिक) और जनता। यदि बुद्धिजीवी वर्ग समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों से भागकर आलस्य या 'असामाजिक नींद' का शिकार हो जाता है, और यदि जनता अनावश्यक तनाव और निराशा में जीती है, तो उस देश का भविष्य अंधकारमय हो जाता है। लेखक कहते हैं कि दोनों वर्गों का जागरूक और सक्रिय रहना राष्ट्र के विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। इस व्यंग्य के माध्यम से वे समाज के उन पढ़े-लिखे लोगों की आलोचना करते हैं जो केवल अपने स्वार्थ के लिए काम करते हैं और राष्ट्र की प्रगति में योगदान नहीं देते।
अति लघु प्रश्नोत्तर (Very Short Answer Questions)
1 लेखक ने निबंध में किस जन्मसिद्ध अधिकार की बात की है?
'पागल होने' की।
२ लेखक को ट्रेन में कौन सोता हुआ मिला?
एक व्यक्ति जो आराम से सो रहा था, जिसे लेखक ने 'जन्मसिद्ध अधिकारी' कहा।
३ लेखक के अनुसार 'जन्मसिद्ध अधिकार' का उपयोग करने के बाद व्यक्ति को क्या लाभ होता है?
वह ताज़ा होकर फिर से समाज के लिए उपयोगी बन सकता है।
४ लेखक ने किस कमीशन पर व्यंग्य किया है?
मानवीय अधिकार कमीशन पर।
५ निबंध में लेखक ने समाज के किन दो वर्गों को राष्ट्र-निर्माण के लिए महत्वपूर्ण बताया है?
बुद्धिजीवी और जनता।
६ "पागल होना बुनियादी अधिकार है" किस विधा की रचना है?
व्यंग्य निबंध।
७ लेखक के अनुसार, कौन पागल हो जाए तो देश की नियति बन जाती है?
शिक्षक।
८ लेखक ने 'असामाजिक नींद' का शिकार किसे बताया है?
बुद्धिजीवियों को।
९ लेखक ने इस व्यंग्य निबंध में क्या संदेश दिया है?
मानसिक शांति और आराम भी जीवन के लिए आवश्यक है।
१० निबंध के अनुसार, कौन-सी ताकतें राष्ट्र-निर्माण की नींव हैं?
बुद्धिजीवी और जनता।
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