कुल पेज दृश्य

शनिवार, 23 अगस्त 2025

BBA SEP 3rd sem Taj Mahal ka tender notes


एक शब्द में लघु प्रश्नोत्तर (One-word Short Answer Questions)

दरबारी किसके सामने घुटने टेकने की बात करता है?

शाहजहाँ

गुप्ताजी कौन सी नदी के किनारे के जमीन बेचने की बात करता है?

यमुना

गुप्ताजी के अनुसार सरकारी काम में कितना समय लगता है?

एक साल

गुप्ताजी के काम में किसने रुकावट डाली?

नेता-1

नेताजी किस संगठन के अध्यक्ष थे?

यमुना बचाओ आन्दोलन

ताजमहल के निर्माण के लिए कौन सी जमीन खरीदी गई थी?

यमुना किनारे की

सुधीर कौन सी फाइल की बात कर रहा था?

बाबू की फाइल

सन्दर्भ-प्रसंग-व्याख्या (Context-Reference-Explanation)

1. "जब भी कोई जमुना के किनारे पर अतिक्रमण करने की चेष्टा करता है तो मैं और मेरे बहादुर साथी वहीं जाकर लेट जाते हैं और लेटो आन्दोलन शुरू कर देते हैं।"

संदर्भ: यह संवाद 'नेता-1' का है, जो खुद को 'यमुना बचाओ आन्दोलन' का अध्यक्ष बताता है। वह गुप्ताजी को ताजमहल बनाने के लिए खरीदी गई जमीन पर निर्माण न करने की धमकी दे रहा है।

प्रसंग: जब गुप्ताजी नेताजी से पूछते हैं कि आप कौन हैं और क्यों उन्हें ताजमहल बनाने से रोक रहे हैं, तब नेताजी इस आन्दोलन के बारे में बताते हैं। वह यह स्पष्ट करते हैं कि वे किसी भी निर्माण को रोकने के लिए 'लेटो आन्दोलन' शुरू कर देते हैं।

व्याख्या: इस संवाद के माध्यम से नाटककार ने विरोध प्रदर्शन के तरीकों पर व्यंग्य किया है। 'लेटो आन्दोलन' का जिक्र करके यह दर्शाया गया है कि कैसे सामाजिक कार्य या आन्दोलन भी स्वार्थपूर्ण राजनीतिक चालों का हिस्सा बन जाते हैं। यह संवाद भ्रष्टाचार, और नेताओं द्वारा लोगों को गुमराह करने की प्रवृत्ति पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करता है।

2. "हमें लगता है कि हमारे पूर्वजों ने जो इमारतें उठाई हैं, वे ही काफी हैं। अब हमारी ज़िम्मेदारी बनती है कि हम उन इमारतों की ज़िआदा से ज़िआदा हिफाज़त करें।"

संदर्भ: यह संवाद 'नेता-2' का है, जो गुप्ताजी के पास एक और निर्माण परियोजना के सिलसिले में आता है। वह गुप्ताजी के नए प्रोजेक्ट का विरोध कर रहा है।

प्रसंग: जब गुप्ताजी नेता-2 को यमुना किनारे पर एक और 'जिलसिसा' नाम की इमारत बनाने की योजना बताते हैं, तब नेता-2 इस योजना का विरोध करता है।

व्याख्या: इस संवाद में नाटककार ने उन स्वार्थी लोगों पर कटाक्ष किया है जो प्रगति और विकास के नाम पर केवल अपने हित साधते हैं। नेता-2 संरक्षण और विरासत की बात कर रहा है, लेकिन उसका मकसद भी व्यक्तिगत लाभ लेना ही है। यह नाटक में व्याप्त भ्रष्टाचार और दोहरे मापदंडों को दर्शाता है, जहाँ नेता अपनी बात को सही ठहराने के लिए सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का सहारा लेते हैं।

टिप्पणी (Short Notes)

सरकारी कार्यप्रणाली पर व्यंग्य: नाटक में गुप्ताजी और शाहजहाँ के बीच के संवाद से यह स्पष्ट होता है कि सरकारी काम में अत्यधिक देरी और भ्रष्टाचार होता है। शाहजहाँ को 22 साल लगे ताजमहल बनवाने में, लेकिन गुप्ताजी को केवल फाइल पास करवाने में ही एक साल लग गया। गुप्ताजी का यह कहना, "कैसा अँधेर मचा हुआ है। बादशाह के खुद सैंक्शन करने के बाद भी एक साल लगा गया?" सरकारी दफ्तरों की धीमी और भ्रष्ट कार्यप्रणाली पर गहरा कटाक्ष करता है।

भ्रष्टाचार और स्वार्थपरता: इन पृष्ठों में कई पात्रों (गुप्ताजी, नेता-1, नेता-2) के माध्यम से भ्रष्टाचार को दिखाया गया है। जहाँ गुप्ताजी को अपना काम करवाने के लिए पैसे देने पड़ रहे हैं, वहीं नेता-1 और नेता-2 जैसे पात्र विरोध प्रदर्शन का नाटक करके अपने निजी स्वार्थ सिद्ध करने की कोशिश करते हैं। 'यमुना बचाओ आन्दोलन' जैसे नेक कार्य का इस्तेमाल भी व्यक्तिगत लाभ के लिए किया जा रहा है, जो समाज में फैले भ्रष्टाचार की कड़वी सच्चाई को उजागर करता है।

नेता और जनता: नाटक में 'नेता-1' का संवाद, "मैं हूँ धरूलाल, मैं जमुना बचाओ आन्दोलन का अध्यक्ष हूँ और मैंने जमुना नदी को बचाने के लिए लेटो आन्दोलन शुरू करा हुआ है।" और 'नेता-2' का संवाद, "यह जनता ही है जिसे कभी किश्तों को चैन से बैठने नहीं देती।" नेताओं और जनता के बीच के संबंधों पर व्यंग्य करता है। यहाँ नेता खुद को जनता का सेवक बताते हैं, लेकिन वास्तव में वे अपने हितों के लिए जनता का शोषण करते हैं। यह दर्शाता है कि नेताओं को जनता की वास्तविक ज़रूरतों की परवाह नहीं होती, बल्कि वे सिर्फ उन्हें अपने राजनीतिक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करते हैं।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

Thank you for your support